Jithe Marzi Jah - Surjit Bindrakhia lyrics
♪ Jithe Marzi Jah ♪
official lyrics
मैं वो दरिया हू की हर
बूँद भवर है जिस की
तुम ने अछा ही किया
मुझसे किनारा कर के
ढाई अक्षर की बात कहने
में
कितनी तकलीफ़ उठा रखी
है...
तूने आँखों में छुपा
रखी है,
मैंने होंठों में दबा
रखी है...!
मुझे मालूम है कि ये
ख्वाब झूठे हैं और
ख्वाहिशे अधूरी हैं.
मगर जिंदा रहने के लिए
कुछ गलतफहमियां जरूरी
हैं.
हर रोज चुपके से निकल
आते नये पत्ते,
यादों के दरख्तों में
क्यूं पतझड़ नहीं होते!!
कसूर तो बहुत किये थे
ज़िन्दगी में,
पर सज़ा वहाँ मिली जहाँ
बेकुसूर थे हम!!
Thursday, May 2, 2019
Jithe Marzi Jah - Surjit Bindrakhia lyrics
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